नीमच। नीमच।मध्यप्रदेश, नीमच श्रीमती डॉ. रेखा मरकाम, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, नीमच द्वारा समाज की बैठक में समाज जनों के मध्य जोर-जोर से गाली-गलौच करने मारपीट करने एवं जान से मारने की धमकी देने के आरोपी रणवीरसिंह उर्फ गोपी पिता चरणसिंह सोनी, निवासी-नीमच को भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की विभिन्न धाराओं में दोषसिद्ध पाते हुए धारा 323 में न्यायालय उठने तक के कारावास एवं 500-500रू (कुल 1500रू) अर्थदण्ड से एवं धारा 294, 506 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 में 500-500रू (कुल 3000रू) अर्थदण्ड से इस प्रकार कुल 4500रू अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।
प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी करने वाले एडीपीओं श्री पारस मित्तल द्वारा घटना की जानकारी देते हुए बताया कि घटना लगभग 5 वर्ष पुरानी होकर दिनांक 12.07.2017 की हैं, स्वर्णकार धर्मशाला नीमच में स्वर्णकार समाज की बैठक चल रही थी, उसमें फरियादी धनसिंह वर्मा भी उपस्थित था और समाज के अन्य लोग भी सम्मिलित थे, बैठक में समाज जनों की आपस में बहस चल रही थी और बैठक में आरोपी रणवीर सिंह उर्फ गोपी भी उपस्थित था, बैठक के दौरान आरोपी अचानक उत्तेजित हो गया और फरियादी धनसिंह से बोला कि तुम नेता क्यों बन रहे हो और नंगी-नंगी गालियां देने लगा। गाली देने से मना करने पर फरियादी के साथ थप्पडों से मारपीट करने लगा। फरियादी के लडकों सोनू, गजेन्द्र व वैभव द्वारा बीच-बचाव करने पर आरोपी ने उनके साथ भी मारपीट की तब समाज के वरिष्ठ लोगो ने बीच-बचाव कर छुडाया तब आरोपी ने जाने से मारने की धमकी भी दी।
फरियादी द्वारा घटना की रिपोर्ट पुलिस थाना नीमच केंट पर की गई। जहां आरोपी के विरूद्ध अपराध क्रमांक 542/2017 पंजीबद्ध कर आरोपी के विरूद्ध अनुसंधान कर अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गय
प्रकरण के विचारण के दौरान अभियोजन की ओर से न्यायालय में फरियादी सहित सभी आवश्यक गवाहों के बयान कराते हुए अपराध को प्रमाणित कराकर फरियादी एवं उसके पुत्रों के साथ मारपीट कर चोट पहुंचाने, अश्लील गाली-गलौच करने एवं जान से मारने की धमकी देने का अपराध प्रमाणित पाये जाने पर आरोपी को कठोर दण्ड से दण्डित किये जाने का निवेदन किया गया। आरोपी द्वारा किये गये अपराध की गंभीरता को देखते हुए अभियोजन अधिकारी से सहमत होते हुए न्यायालय द्वारा आरोपी को भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की विभिन्न धाराओं में दोषसिद्ध पाते हुए धारा 323 में न्यायालय उठने तक के कारावास एवं 500-500रू (कुल 1500रू) अर्थदण्ड से एवं धारा 294, 506 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 में 500-500रू (कुल 3000रू) अर्थदण्ड से इस प्रकार कुल 4500रू अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।