श्री पुशपतिनाथ मंदिर परिसर मंदसौर मे इस वर्ष भी धार्मिक आयोजन मनोकामनाएं अभिषेक का आयोजन सावन के प्रथम सोमवार से शुभारंभ होगा
मंदसौर। मध्यप्रदेश, विश्व विख्यात भगवान श्री पशुपतिनाथ मंदिर मंदसौर परिसर मे 21 जुलाई 2024 को गुरूपुर्णिमा पर्व पर भगवान अष्ठमुखी पशुपतिनाथ महादेव का अभिषेक होगा। सावन मास 22 जुलाई सोमवार से प्रारंभ हो रहा। प्रबंधक राहूल रूनवान के अनुसार मंदिर प्रबंध समिति की आगामी बैठक होना है। श्री पुशपतिनाथ मंदिर परिसर मंदसौर मे प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी धार्मिक आयोजन मनोकामनाएं अभिषेक का आयोजन सावन के प्रथम सोमवार से शुभारंभ होकर सावन के अंतिम सोमवार तक चलेगा।
इस बार 22 जुलाई दिन सोमवार से सावन मास का आरंभ हो रहा है और इस दिन सावन के पहले सोमवार का व्रत भी किया जाएगा। हिंदू धर्म में सावन मास का विशेष महत्व है क्योंकि सावन का महीना भगवान शिव का प्रिय मास है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूरे साल शिव पूजा से जो पुण्य फल मिलता है, वह सावन सोमवार में भगवान शिव का जलाभिषेक और बेलपत्र अर्पित करने से प्राप्त होता है। आषाढ़ माह के समापन के साथ ही हिन्दू पंचांग का पांचवां माह सावन शुरू हो जाएगा. यह महीना देवों के देव महादेव का प्रिय महीना भी कहा जाता है और इसका इंतजार सालभर किया जाता है. इस महीने में शिवालयों में भक्तों का तांता लगा रहता है. भक्त सोमवार के दिन व्रत रखते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। इस बार खास संयोग बन रहा है- वो ये कि सावन मास की शुरुआत सोमवार से हो रही है और इसका समापन भी सोमवार को ही हो रहा है। ये इसलिए खास है क्योंकि सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित किया गया है।
ऐसा माना जाता है कि सावन सोमवार को पूरे विधि विधान से शिवजी की पूजा करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. वहीं इस वर्ष पहले सावन सोमवार का व्रत 22 जुलाई 2024 को रखा जाएगा. आइए जानते हैं सभी सावन सोमवार की तिथि और पूजा विधि।
सावन सोमवार का महत्व
शिव पुराण के अनुसार, सावन सोमवार का व्रत करने से भाग्योदय होता है और भक्तों पर शिव कृपा भी बनी रहती है। साथ ही जीवन में सुख समृद्धि और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए सावन सोमवार का व्रत किया जाता है। सावन में भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से ग्रह-नक्षत्रों का शुभ फल प्राप्त होता और सभी दोष दूर होते हैं क्योंकि भगवान शिव सभी ग्रह-नक्षत्र और सृष्टि के स्वामी हैं, वह देवों के देव महादेव हैं। जो प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा अर्चना नहीं कर सकता, उसे सावन सोमवार के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा अवश्य करनी चाहिए और व्रत रखना चाहिए। महादेव को आशुतोष भी कहा जाता है, आशुतोष का अर्थ है तुरंत खुश या प्रसन्न होने वाला। इसके अलावा मान्यता यह भी है कि भगवान शिव सावन मास में धरती पर अपने ससुराल गए थे, जहां उनका भव्य स्वागत जलाभिषेक करके किया गया था। इसलिए इस मास भक्त भक्ति में लीन रहते हैं, जिससे शिव कृपा प्राप्त की जा सके।