मध्यप्रदेश के लिए शिवराज सिंह चौहान एक दार्शनिक मुखिया, वे राजनीति को जन सेवा का माध्यम मानते हैं-श्री जगदीश देवड़ा
भोपाल। राज्य का शासक यदि विलक्षण दार्शनिक प्रतिभा संपन्न हो तो राज्य की समृद्धि के नए रास्तों की संभावनाएं बनती हैं। शांतिपूर्ण और परस्पर सहयोग का वातावरण रहता है, जिसमें राज्य की प्रतिभाओं को फलने-फूलने के अवसर मिलते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि मध्यप्रदेश के लिए शिवराज सिंह चौहान एक दार्शनिक मुखिया और शासक साबित हुए हैं। वे राजनीति को जन सेवा का माध्यम मानते हैं और निःस्वार्थ सेवा भावना से काम करते हैं। विकास के हर क्षेत्र में उनकी रचनात्मक सोच और भविष्य के प्रति साफ-सुथरी दूरदृष्टि स्पष्ट दिखती है। शिवराज जी ने हमेशा आम नागरिकों के मन की और उनकी अपेक्षाओं की बात की। नीति निर्माण और निर्णय प्रक्रिया में आम नागरिकों की आकांक्षाओं को शामिल किया। इसलिए आम नागरिकों का समर्थन और विश्वास उनके साथ है। उनकी सहजता, सेवा और समर्पण की भावना से अभिभूत होकर उन्हें कॉमन मैन का सीएम कहते हैं। राजधर्म के प्रति वे हर पल सचेत रहते हैं।
विकास के हर क्षेत्र में उनके दार्शनिक दृष्टि रेखांकित होती है। योजना निर्माण से लेकर लोक चेतना लगाने वाले मिशन बनाने तक उनका उददेश्य स्पष्ट होता है। नर्मदा सेवा यात्रा प्रारंभ करते हुए उन्होंने कहा था कि नदियों और पर्यावरण की सेवा करना राजा का धर्म होता है । उन्होंने ऋग्वेद का उदाहरण दिया, जिसके अनुसार राजा को आदेशित किया गया कि वह औषधि और जल को धारण करने वाली पृथ्वी की सुरक्षा करे। राजा को भी पर्यावरण की सुरक्षा के यथावत प्रबंध करने के लिये निर्देशित किया गया है। इसी सोच का परिणाम यह है कि नर्मदा मैया को प्रदूषण से मुक्त रखने के लिए जो चेतना मुख्यमंत्री के आचार-व्यवहार के कारण उत्पन्न हुई थी वह निरंतर विद्यमान है। नर्मदा किनारे के गांवों में नर्मदा सेवा यात्रा का व्यापक प्रभाव है। इसी प्रकार स्व-प्रेरणा से उन्होंने पौधारोपण के संस्कार को अपने संकल्प से नागरिक आंदोलन का स्वरूप दे दिया है। इसमें अतिशयोक्ति नहीं कि शिवराज जी लोकहित के लिए अपने ज्ञान और विवेक का भरपूर इस्तेमाल करते हैं। उनकी लोक-कल्याण की दृष्टि बहुत व्यापक है। उन्होंने लाड़ली लक्ष्मी, कन्या विवाह, बेटी बचाओ जैसी योजनाओं को लेकर जीवन चक्र के हर पड़ाव के लिये योजनाएं बनाई है। राज्य को इसका सुखद परिणाम यह मिला कि सरकार की योजनाओं से हर वर्ग को लाभ हुआ है।
शिवराज जी विवेक प्रेमी हैं इसलिए वे दूसरों के विवेक का भी सम्मान करते हैं। कई बार उन्होंने अपने भाषण में कहा कि हर व्यक्ति का अपना विवेक, अपना अनुभव और अपना अर्जित ज्ञान होता है। एक व्यक्ति सभी विषयों का ज्ञाता नहीं हो सकता। इसलिए उन्होंने योजनाएं बनाते समय संबंधित क्षेत्र के जानकारों का भी सहयोग लिया। दार्शनिक शासक सत्य का उपासक होता है। यह बात शिवराज जी के लिये एकदम खरी है। वे सत्य के मार्ग पर सत्य के साथ चल रहे हैं। झूठ से उन्हें सख्त नफरत है। सार्वजनिक जीवन में रहते हुए वे सच्चे और झूठे की आसानी से पहचान कर लेते हैं। सच्चे की भरपूर मदद करते हैं और झूठे को नसीहत देने से नहीं चूकते। सार्वजनिक जीवन में लोकहित के काम करते हुए शिवराज जी क्रोध, संकीर्णता, द्वेष और स्वार्थ से कोसों दूर उनका वयक्तित्व संत स्वभाव का है। गहरी जीवन दृष्टि राजनैतिक दीक्षा की प्रक्रिया जारी रहते हुए शिवराज जी अपनी जीवन दृष्टि विकसित की, जिसका मूल है मानव सेवा। उन्होंने श्रीमद भगवद गीता, स्वामी विवेकानंद और पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के “एकात्म मानववाद“ का गहन अध्ययन किया। बाद में भोपाल विश्वविदयालय से दर्शन शास्त्र में प्रथम श्रेणी में स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल की। आध्यात्मिक रूझान बढ़ने के साथ उनके जीवन में सबसे महत्वपूर्ण पल तब आया जब उन्होंने होशंगाबाद में गायत्री परिवार के संस्थापक आचार्य श्रीराम शर्मा से दीक्षा प्राप्त की। इसक साथ ही उनमें आध्यात्मिक चेतना ने विस्तार लेना शुरू कर दिया। गायत्री परिवार के आदर्शों ने शिवराज के अन्तर्मन को गहरे प्रभावित किया। उनकी दार्शनिक जीवन दृष्टि की झलक उनकी नीतियों और निर्णयों में स्पष्ट नजर आती है। मुख्यमंत्री श्री चौहान बेहद संवेदनशील है। वे किसी का दुख बर्दाश्त नहीं कर पाते। उन्होंने खेतिहर मजदूरों को कठिन परिस्थितियों में काम करते हुए देखा। उनका दुख-दर्द समझा। मजदूरी करती मां को देखकर वेदना से भर जाने वाले शिवराज हमेशा कुछ करने का संकल्प दोहराते थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने श्रमिक कल्याण की अनूठी योजनाएँ लागू की। इसमें श्रमिकों के लिये जन्म से लेकर जीवन के हर पड़ाव पर मदद की व्यवस्था है। मध्यप्रदेश श्रमिक कल्याण कानूनों में सुधार की पहल करने वाला देश का पहला राज्य है ।
डिंडोरी में नर्मदा मैया की पीड़ा देखने के बाद उन्होंने नर्मदा सेवा यात्रा का संकल्प लिया था। पृथ्वी की हरियाली बचाने के लिए रोज एक पौधा लगाते हैं। नागरिकों को अपने व्यवहार से उन्होंने प्रेरित किया है। प्रकृति के प्रति उनकी संवेदनशीलता से आज पौधा-रोपण एक नागरिक आंदोलन बन गया है। लाड़ली बहना योजना, मुख्यमंत्री बाल हृदय उपचार योजना, लाड़ली लक्ष्मी योजना, कन्या विवाह-निकाह योजना जैसी योजनाएं उनकी संवेदनशीलता का परिणाम है।
जैसा शास्त्रों में कहा गया है राजा हमेशा शांत स्वभाव का होता है, इसलिए वह न्याय कर पाता है। प्रदेश के नागरिक जानते हैं कि मुख्यमंत्री का पूरा व्यक्तित्व धीर, गंभीर है। प्रदेश की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी अविचलित रहते हुए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ समाधान सामने रखे और नागरिकों को संकट से निकाला। कोविड संक्रमण काल में उनकी सूझ-बूझ से जिन्दगी रूकी नहीं । सभी को स्वास्थ्य सुरक्षा मिली और स्वास्थ्य सेवाओं का आधारभूत ढांचा भी मजबूत कर दिया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने यह साबित कर दिया है वे मध्यप्रदेश और आम नागरिकों के विकास के लिये पूरी तरह समर्पित राजनेता हैं। जन्म दिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
(लेखक मध्यप्रदेश शासन मे वित्तमंत्री है)