मध्यप्रदेश, मालवा क्षेत्र मे दिपावली के दुसरें दिन गांव मे गाय के गोबर से भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत का आकृति बनाने की परंपरा बरकरार है। हिंदू धर्म में गाय को पवित्र और माता का दर्जा दिया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण को गायों से अत्यंत प्रेम था इसलिए उन्हें गोपाल भी कहा जाता है। बाल रूप में भगवान श्रीकृष्ण गायों को चराने ले जाया करते थे, गाय भगवान श्रीकृष्ण के साथ साथ सभी देवी देवताओं को प्रिय होती है और गाय के दूध को अमृत माना जाता है., धर्म के जानकारों के अनुसार गोवर्धन पूजा में भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाने के लिए गाय के गोबर का उपयोग ही उचित होता है। आज ही के दिन बैल पुजन भी किया जाता है।
- गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है।
- यह पर्व हर साल कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है।
- आम तौर पर यह पर्व दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है।
- इस दिन घर में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई जाती है।
- गोवर्धन पर्वत के बीचों-बीच भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति रखी जाती है।
- इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को अन्नकूट और छप्पन भोग लगाए जाते हैं।
- गोवर्धन पर्वत की सात बार परिक्रमा की जाती है।
- परिक्रमा करते समय खील और बताशे अर्पित किए जाते हैं।
मान्यता के अनुसार पूजा के बाद गोवर्धन पर्वत के गोबर को गोबर को खेतों में डालकर खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है. इससे फसलों की पैदावार बढ़ेगी और मिट्टी की उर्वरक शक्ति बढ़ेगी।