नये भारतीय कानूनों का अध्ययन और उन्हें लागू करवाने में अभियोजन अधिकारियों की भूमिका महत्वपूर्ण -प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश
एक दिवसीय विधिक ज्ञान संवर्धन एवं व्यावसायिक दक्षता पर कार्यशाला सम्पन्न
नीमच। भारत में तीन नये कानून आगामी 1 जुलाई से लागू होना हैं और 1 जुलाई से सभी कार्यवाहीया नये कानूनों के तहत ही होगी, इसलिये अभियोजन अधिकारीगण को नये कानूनों का अच्छे से ज्ञान होने और उन कानूनों को लागू करवाने में पुलिस एवं न्यायालय के समक्ष महत्वपूर्ण भूमिका अदा करना हैं। उक्त उद्गार प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुशांत हुद्दार ने अभियोजन अधिकारीगण के लिए आयोजित एक दिवसीय विधिक ज्ञान संवर्धन एवं व्यावसायिक दक्षता पर कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये।
महानिदेशक/संचालक लोक अभियोजन संचालनालय भोपाल म.प्र. श्रीमती सुषमा सिंह के मार्गदर्शन में अभियोजन अधिकारीगण के विधिक ज्ञान संवर्धन एवं व्यावसायिक दक्षता पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन रविवार 25 फरवरी के न्यायालय परिसर नीमच स्थित ए.डी.आर. भवन के सभाकक्ष में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव विजय कुमार सोनकर एवं जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री हर्षित बिसेन के विशेष आतिथ्य में एवं उपसंचालक (अभियोजन) बी. एस. ठाकुर की अध्यक्षता में किया गया, कार्यक्रम में जिला लोक अभियोजन अधिकारी जगदीश चौहान भी उपस्थित रहे एवं कार्यक्रम का संचालन सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी पारस मित्तल द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के आरंभिक सत्र में अतिथियों ने सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर एवं दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया, अतिथियों का स्वागत वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी विवेक सोमानी, योगेश कुमार तिवारी, चंद्रकांत नाफड़े एवं रमेश नावड़े ने किया। जिला अभियोजन अधिकारी जगदीश चौहान ने स्वागत भाषण देते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा को अतिथिगण के समक्ष प्रस्तुत किया, कार्यक्रम में प्रतिभागी अधिकारियों को संबोधित करते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव विजय कुमार सोनकर ने कार्यशाला के आयोजन को विधिक ज्ञानवृद्धि हेतु आवश्यक बताया। मुख्य अतिथि प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री सुशांत हुद्दार ने अपने उद्बोधन में इस प्रकार की कार्यशालाओं के आयोजन को महत्वपूर्ण बताते हुए सभी अभियोजन अधिकारीगण से कानून के प्रति जागरूक रहने और विभिन्न कानूनों में नित नये संशोधनों से अवगत रहने की बात बताते हुए कहा कि, आगामी 01 जुलाई से तीन नये भारतीय कानून प्रभाव में आयेगें और इसके लिए अभियोजन अधिकारियों की भूमिका महत्वपूर्ण है, क्यों कि आमजन को जागरूक करने और पुलिस को नये कानून के प्रावधानों को बताने में एवं न्यायालय के समक्ष प्रभावी ढंग से उन्हें प्रस्तुत करने, अभियोजन अधिकारियों का दायित्व महत्वपूर्ण होगा।
कार्यशाला के द्वितीय तकनीकी सत्र में सेवा निवृत्त उपसंचालक अभियोजन सुशील कुमार जैन ने अतिथि विद्वान के रूप में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों से अधिकारियों को अवगत कराते हुए न्यायालय के समक्ष उक्त अधिनियम के प्रकरणों की पैरवी के समय अपनाये जाने वाली प्रक्रिया और सावधानियों के बारे में जानकारी दी और अपने विधिक अनुभव को अधिकारियों से साझा किया।
कार्यशाला के तृतीय तकनीकी सत्र में सुनील तलरेजा ने व्यक्तित्व कौशल एवं प्रबंधन के बारे में अधिकारीगण को महत्वपूर्ण जानकारी दी। कार्यक्रम के समापन सत्र के मुख्य अतिथि के रूप में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नवलसिंह सिसोदिया उपस्थित थे, जिन्होंने पुलिस की कार्यवाही को न्यायालय के समक्ष प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने में अभियोजन अधिकारियों की भूमिका की सराहना करने हुए नये भारतीय कानूनों से पुलिस अधिकारियों एवं अनुसंधान अधिकारियों को अवगत कराने में अभियोजन अधिकारीगण के सहयोग को महत्वपूर्ण बताया, अंत में सिसोदिया ने कार्यशाला में उपस्थित सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को प्रमाणपत्र व स्मृति चिन्ह प्रदान किये। कार्यक्रम का संचालन अभियोजन अधिकारी श्री पारस मित्तल ने किया एवं श्री चंद्रकांत नाफड़े ने सभी का आभार व्यक्त किया।