भोपाल। मप्र की 230 सदस्यीय विधानसभा चुनाव के लिए मतदान संपन्न होने के बाद भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर की गूंज पूरे प्रदेश में है। अगर 2018 के विधानसभा चुनाव नतीजे पर नजर डालें तो समझ आता है कि लोग क्यों कह रहे हैं कि पलड़ा इस वक्त किसी के भी पक्ष में झुक सकता है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा (41.02 प्रतिशत) और कांग्रेस (40.89 प्रतिशत) दोनों का वोट शेयर लगभग समान था और सीटों का अंतर सिर्फ पांच था। भाजपा ने 230 में से 109 और कांग्रेस ने 114 सीटें जीती थीं। राज्य ने 2020 में जो राजनीतिक उथल-पुथल देखी, उसके बावजूद इस बार के चुनाव में कोई लहर या अंतर्धारा नहीं दिखी। मतदान प्रतिशत, जो भारतीय लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत है 77.15 प्रतिशत रहा, जो मौजूदा सरकार के लिए खतरे की घंटी बताई जा रही है। कई लोग इस भारी मतदान को राज्य में बदलाव का संकेत मान रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने चुनाव जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। मप्र में इस बार रिकार्ड 77.15 प्रतिशत मतदान हुआ है।
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