सर्पदंश पीड़ित को समय पर उपचार नही मिलने से हो रही मौतें, मंदसौर के इमरजेन्सी वार्ड का नम्बर जारी कर अपनी नाकामी पर पर्दा डाल रहा प्रशासन, इंजेक्शन तो ठीक, डॉक्टर ही नही अस्पतालों में, कांग्रेस नेता जोकचन्द्र ने लगाया आरोप
मंदसौर। मध्यप्रदेश के मंदसौर के मल्हारगढ़ विधानसभा क्षेत्र के गांव रिछा में सर्पदंश के बाद युवक को शासकीय जिला अस्पताल में उपचार नही मिलने, उसे निजी अस्पताल में रेफर करने के बाद युवक की मौत हो गई, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर हुए आन्दोलन के बाद प्रशासन ने बुधवार को प्रेस नोट जारी कर सर्पदंश होने पर जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड का नम्बर 07422-404346 जारी किया, यह नम्बर तो पहले से ही है, नया क्या किया ? सर्पदंश पीड़ित का उपचार कौन डॉक्टर करेगा ? सर्पदंश होने पर मंदसौर जिला अस्पताल में स्पेशलिस्ट कौन डॉक्टर है ? केवल अस्पताल का इमरजेंसी नम्बर जारी कर अपनी नाकामी को नही छुपया जा सकता है।
प्रशासन के प्रेेस नोट में जिला चिकित्सालय, सिविल हास्पीटल व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर 24 घंटे सुविधा उपलब्ध होने की बात कही गई, जबकि जिम्मेदारों, क्षेत्र में रह रहे प्रदेश शासन के मंत्रियों व जनप्रतिनिधियों को यह पता होना चाहिए है कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर ही नही रहते है, केवल 1 या 2 घंटे के लिए डॉक्टर मूह दिखाने व हाजिरी लगाने के लिए आते है। बाकी सब रामभरोसे चल रहा है। मल्हारगढ़ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याक्षी रहे श्यामलाल जोकचन्द्र ने आरोप लगाया कि मंदसौर जिले में शासकीय अस्पताल रामभरोसे है, अस्पतालों में डॉक्टर ही नही है। कुछ दिनों पूर्व सांप के डसने के बाद रिछा के युवक रौनक पिता जीतमल दमामी को मंदसौर जिला अस्पताल भर्ती कराया था, लेकिन देर रात्रि जिला अस्पताल में तैनात स्टाफ ने इलाज के लिए पर्याप्त व्यवस्था नही होना बताकर, निजी सिद्धि विनायक अस्पताल में ले जाने की सलाह दी, परिजन रौनक को सिद्धि विनायक अस्पताल ले गए, लेकिन वहां भी बीएचएमएस डॉक्टर ने सर्पदंश पीड़ित युवक का उपचार किया।
शासकीय व निजी अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के चलते दमामी परिवार के इकलौते वारिश रौनक की जान चली गई। जोकचन्द्र ने आरोप लगाया कि शासकीय अस्पताल केवल रेफर अस्पताल बनकर रह गए है, शासकीय अस्पताल वाले मरीज के परिजन को निजी अस्पताल में ले जाने की सलाह दे। क्षेत्र के मंत्रियों, जनप्रतिनिधियों व शासन-प्रशासन के लिए इससे बड़ी शर्मशार बात और क्या हो सकती है। निकम्मे जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते उपचार के अभाव में लोगों की जान जा रही है, यह जिले के लिए कलंक है। जोकचन्द्र यह भी आरोप लगाया कि पिछले कई वर्षों से जिला अस्पताल में सांप के काटने पर उपचार करने वाला स्पेशलिस्ट डॉक्टर नही है, अस्पतालों में तो सांप के काटने के बाद लगने वाले स्नेक एंटी वेनम इंजेक्शन ही नही है। सर्पदंश के बाद पीड़ित को परिजन सीधे शासकीय अस्पताल ले जाते है, लेकिन वहां न तो इंजेक्शन रहता है न डॉक्टर, सीधे मंदसौर रेफर कर दिया जाता है और मंदसौर भी डॉक्टर के नही होने से उसे निजी अस्पताल या अन्यत्र रेफर कर दिया जाता है। इस दौरान एक घंटे के भीतर लगने वाले स्नेक एंटी वेनम इंजेक्शन का समय निकल जाता है और व्यक्ति की मौत हो जाती है।
रिछा के युवक की लापरवाही से हुई मौत के बाद प्रशासन जागा और अपनी नाकामी को छुपाने के लिए मंदसौर के इमरजेसी कक्ष का नम्बर जारी कर इतिश्री कर ली। इसके लिए किस स्पेशलिस्ट को तैनात किया गया है, यह नही दर्शाया। केवल नम्बर जारी कर शासकीय अस्पताल में ले जाने की सलाह देकर अपनी नाकामी पर पर्दा नही डाला सकता है। हाल में सर्पदंश के बाद उपचार नही मिलने से कई मौतें हो चुकी है। इसके लिए आज दिन तक प्रशसन ने जागरुकता अभियान नही चलाया। कौन से सांप जहरीले होते है और मंदसौर जिले में जहरीले सांप कहां-कहां पाए जाते है, इसको लेकर भी आमजन को जागरुक नही किया गया।
निजी अस्पताल भी कर रहे मरीज के साथ खिलवाड़:- रिछा के युवक की मौत के मामले में मंदसौर के सिद्धि विनायक हास्पीटल के डॉ मनीष पाठक पर परिजन आरोप लगा रहे है। डॉ पाठक बीएचएमस (बेचलर ऑफ होम्योपेथिक मेडिसिन एंड सर्जरी) है, जो होम्योपेथिक प्रणाली से इलाज कर सकते है, लेकिन वे सर्पदंश पीड़ित युवक का इलाज कर रहे थे, जो अवैधानिक है। बीएमएस इस तरह के मरीजों का उपचार नही कर सकते है। लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करने व गलत उपचार कर उन्हें मौत की नींद सुलाने वाले एसे अस्पतालों पर ताले लगाए जाना चाहिए, ताकि भविष्य में किसी मरीज की लापरवाही में जान न जाए। जोकचन्द्र ने चेतावनी दी कि अगर 10 दिन के भीतर युवक की मौत के जिम्मेदार दोषियों पर कार्रवाई नही हुई तो बड़ा आन्दोलन करेंगे।