पटनाः उपेंद्र कुशवाहा, मुकेश सहनी और चिराग पासवान पर भाजपा इन दिनों काफी मेहरबान दिखाई दे रही है। क्या लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा इन छोटे-छोटे दलों को अपने साथ मिलाकर बिहार में जीत हासिल करेगी? हाल ही में एकाएक कुशवाहा ने जदयू छोड़ अपनी पार्टी का निर्माण कर लिया है। इससे पहले वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी को वाई प्लस सिक्योरिटी दी गई जबकि लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान तो पहले से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हनुमान हैं।
कुशवाहा ने छोड़ा JDU का साथ
उपेंद्र कुशवाहा बीते क़रीब दो महीने से पार्टी से नाराज़ चल रहे थे। उन्होंने जेडीयू को एक कमज़ोर पार्टी बताया था और नीतीश कुमार समेत पार्टी के बड़े नेताओं पर लगातार गंभीर आरोप लगा रहे थे। कुशवाहा के आरोपों पर जेडीयू की तरफ़ से नीतीश कुमार समेत कई नेता लगातार बयान भी दे रहे थे। वहीं बीते सोमवार को पटना में पत्रकारों को बुलाकर कुशवाहा ने पुरानी पार्टी को छोड़ने और नई पार्टी बनाने का ऐलान किया।
जायसवाल ने कुशवाहा से की मुलाकात
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कुशवाहा से उनके आवास पर मुलाकात की। इस पर जायसवाल ने कहा कि हम कुशवाहा को धन्यवाद देने आए हैं कि पार्टी छोड़ना तो बहुत आसान होता है, लेकिन उन्होंने जिस तरीके से राज्यपाल के द्वारा नामित बिहार विधान परिषद के सदस्य पद छोड़ने का निर्णय लिया है। हम उन्हें साधुवाद देने आए हैं। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि जिस तरीके से उन्होंने राजद की गुलामी स्वीकार नहीं की। जायसवाल ने कहा कि यह बस शिष्टाचार मुलाकात है। कुशवाहा ने भी इस मुलाकात को शिष्टाचार मुलाकात बताया।
मुकेश सहनी को दी गई Y+ security
वहीं मुकेश सहनी को बीते मंगलवार को वाई प्लस सिक्योरिटी दी गई हैं। उन्हें ये सिक्योरिटी केंद्रीय सुरक्षा समिति की अनुशंसा पर मुहैया करवाई गई है। इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के आधार पर गृह मंत्रालय की तरफ से पूर्व मंत्री की सुरक्षा बढ़ाने का निर्णय लिया गया। इस निर्णय के तहत अब मुकेश सहनी के साथ कम से कम 11 सुरक्षाकर्मी रहेंगे। इसमें CISF के जवान शामिल होंगे। साथ ही दो पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर उनके साथ 24 घंटे घूमेंगे।
क्या 2024 में फिर 2014 वाला गठजोड़ तैयार करना चाहती है BJP
बता दें कि भाजपा 2024 में एक बार फिर से 2014 वाला गठजोड़ तैयार करने में लगी है। भाजपा के समर्थन में उनके हनुमान यानि चिराग पासवान पहले से ही हैं। सहनी को भी केंद्र द्वारा दी गई इस सुरक्षा को प्रलोभन के तौर पर देखा जा रहा है। इसके अतिरिक्त कुशवाहा भी जदयू से अलग होने के बाद भाजपा का साथ देते हुए दिखाई दे रहे हैं।