भोपाल । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रशासनिक कार्यवाही और प्रक्रिया को जन-हितैषी, पारदर्शी बनाने पर जोर देते हैं। उनकी प्रेरणा से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के दूरदर्शी नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार प्रशासन में डिजिटल नवाचारों के साथ सुशासन के नए युग में प्रवेश कर रही है। प्रदेश सरकार ने प्रशासन में दक्षता, पारदर्शिता और नागरिकों की सहभागिता को बढ़ाने के लिए कई नवाचार किए हैं, इनसे प्रशासनिक तंत्र को आधुनिक और लोकसेवा को बेहतर बनाया जा सकेगा।
ई-ऑफिस प्रणाली की हुई शुरूआत
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वर्ष-2025 के शुभारंभ के साथ ही 1 जनवरी को ई-ऑफिस सिस्टम का भी शुभारंभ किया। इस डिजिटल नवाचार से प्रशासन को सुशासन के मार्ग पर चलाने की दिशा में मील का पत्थर माना जा रहा है। ई-ऑफिस सिस्टम प्रशासनिक प्रबंधन को पेपरलेस बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके साथ ही इस डिजिटल प्रणाली से प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुचारू रूप से संचालित किया जा सकेगा, दस्तावेज़ों के खोने के जोखिम खत्म होगा और लोकसेवा की प्रक्रिया तीव्र हो जाएगी। डिजिटल फाइलिंग से विभागों में पारदर्शिता बढ़ेगी साथ ही आवश्यकतानुसार फाइलों की समय पर उपलब्धि सुनिश्चित हो सकेगी। आम नागरिक भी अब सरकारी प्रक्रियाओं को आसानी से ट्रैक कर सकेंगे और सार्वजनिक सेवाओं से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकेंगे, इससे सरकार पर जनता का विश्वास बढ़ेगा। मध्यप्रदेश सरकार की यह पहल दूसरे राज्यों के लिए मिसाल बनेगी।
संपदा 2.0 से संपत्ति रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में आई सरलता
ई-ऑफिस सिस्टम के अलावा, मध्यप्रदेश सरकार ने कई अन्य महत्वपूर्ण नवाचार भी किए हैं, जिनमें संपदा 2.0 प्रणाली भी शामिल है। संपदा 2.0 प्रणाली संपत्ति लेनदेन के लिए ई-रजिस्ट्रेशन और ई-स्टाम्पिंग की सुविधा प्रदान करती है, इससे प्रक्रिया और भी तेज और सुविधाजनक हो जाती है। इस पहल से नागरिकों को सरकारी कार्यालयों में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, साथ ही रजिस्ट्रेशन में लगने वाला समय भी कम हो जाएगा।
राजस्व महाभियान लाखों राजस्व प्रकरणों का हुआ निष्पादन
मुख्यमंत्री डॉ. यादव के निर्देशन में मध्यप्रदेश सरकार ने राजस्व महाभियान चलाया, इसका उद्देश्य दो चरणों में 80 लाख से अधिक लंबित राजस्व प्रकरणों का निष्पादन करना है। इस अभियान के अंतर्गत नामांतरण, भूमि बंटवारा, अभिलेख सुधार और नक्शा संशोधन जैसे मुद्दों को हल किया गया। तीन चरणों में चले इस अभियान का मुख्य उद्देश्य लंबित मामलों का समाधान निकालना था ताकि नागरिकों को उनके अधिकार और लाभ का शीघ्र प्राप्त हो सकें। प्रकरणों के बैकलॉग्स हटेंगे तो राजस्व विभाग की सेवा प्रदान करने की क्षमता में वृद्धि होगी।
अब ऑनलाइन मिल रही आवासीय भू-खण्डों की स्वीकृति
मध्यप्रदेश में आवासीय भूखंडों के अनुमोदन के लिए भी ऑनलाइन सेवाएं शुरू की गई हैं। इसके अंतर्गत 105 वर्ग मीटर तक के भूखंडों के लिए ऑनलाइन डीम्ड अनुमोदन जबकि 300 वर्ग मीटर तक के भूखंडों के लिए त्वरित अनुमोदन प्रणाली लागू की गई है। प्रशासन की इस पहल से नागरिकों को अपने भूखंडों के लिए अनुमति प्राप्त करने में सुविधा होगी और भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया अधिक पारदर्शी हो जाएगी।
सरकार भरेगी ग़रीब कैदियों का जुर्माना
मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में सरकार ने सामाजिक न्याय के क्षेत्र में भी कई जन-हितैषी निर्णय लिए हैं। फैसला किया गया है कि गरीब कैदियों के जुर्माने का भुगतान सरकार करेगी। इससे उनके परिवारों को आर्थिक राहत मिलेगी। इसे सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण सुधार माना जा रहा है, इससे कैदियों के समाज में पुन:स्वीकार्यता सुनिश्चित हो सकेगी।
स्पीकर, डिप्टी-स्पीकर, मंत्री और नेता प्रतिपक्ष स्वयं भरेंगे अपना आयकर
मध्यप्रदेश सरकार ने मंत्रियों, विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और विपक्ष के नेता को अपने वेतन और भत्तों पर आयकर का भुगतान स्वयं करने की अनिवार्यता लागू की है। वर्ष 1972 से चले आ रहे पुराने नियम को बदलने से आम नागरिकों में अच्छा संदेश गया है। इसके साथ ही यातायात प्रबंधन में सुधार के लिए परिवहन जांच चौकियों के स्थान पर चेक पॉइंट्स की स्थापना की गई है। इससे बेहतर ट्रांसपोर्टेशन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। यह बदलाव प्रदेश के व्यापारियों और नागरिकों के लिए लाभप्रद सिद्ध होगा।
मुख्यमंत्री के निर्देशन में उठाए गए सुशासन के कदम
बच्चों के पेरेंट्स पर पाठ्यपुस्तकों, यूनिफॉर्म और अन्य शैक्षिक सामग्री को कुछ विशेष दुकानों से खरीदने का दबाव बनाने वाले स्कूल प्रबंधनों के विरुद्ध कार्रवाई।
शहीदों की पत्नी और माता-पिता को समान रूप से 50-50 प्रतिशत आर्थिक सहायता दी जाएगी, इससे शहीद परिवारों की आर्थिक स्थिति और सम्मान सुरक्षित रहेगा।
डिजिटल क्रांति की दिशा में नेशनल ई-विधान एप्लीकेशन (NEVA) को मध्यप्रदेश विधानसभा में लागू करने का निर्णय लिया गया। इस परियोजना पर 23 करोड़ 87 लाख रुपए की लागत आएगी। इससे विधानसभा की कार्यवाही को डिजिटली संचालित किया जा सकेगा।
मध्यप्रदेश क्लाउड पॉलिसी-2024 को मंजूरी दी गई, जो राज्य की डिजिटल क्षमताओं को बढ़ाएगी। इससे सरकारी विभागों की क्लाउड सेवाओं तक पहुंच सुगम हो सकेगी।
इन प्रयासों से सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार आएगा और सरकार एवं नागरिकों के बीच विश्वास और सहभागिता को भी बढ़ावा मिलेगा।